जीवन के सफर में हमराही,
मिलते हैं बिछड़ जाते हैं।
कही अनकही बातें फ़िर वो,
तन्हाई में दोहराते हैं।
कुछ पूछा था शायद तुमसे,
या तुमको कुछ बतलाया था।
जाने क्या क्या बातें की थी,
जब पहली बार मिले थे तुम।
कैसी थी वो सुबह अजब,
मिट्टी की खुशबु आती थी।
कितनी प्यारी वो बारिश थी,
जब साथ में भीगे थे हम तुम।
धूप में बैठे थे कुछ पल,
तितली को उड़ते देखा था।
कुछ नरम गरम सपने थे बुने,
जब ठण्ड का आया था मौसम।
याद है मुझको शाम भी वो,
जब हम तुम टहला करते थे।
छत पर होती घंटो बातें,
यूँ ग्रीष्म का बीता था मौसम।
दूर हो तुम अब मुझसे,
पर लगते अब भी साथ मुझे।
आया देखो फ़िर साल नया,
अब फ़िर आयेंगे वो मौसम।
मन में अब भी ये आशा है,
कहीं मिलेंगे फ़िर हम तुम।
फ़िर से घंटों बातें होंगी।
और साथ उठेंगे अपने कदम।
ईश्वर से यही दुआ है अब,
की तुम्हे सफलता हासिल हो।
हर मौसम बीते सुखद सदा,
कदमो पे तुम्हारे मंजिल हो।
hmmm gud work........keep it up!!!
ReplyDeleteThanks Mandeep…
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